इस्राएल-ईरान विवाद: कहां खड़े हैं ट्रंप और अमेरिका
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का दावा है कि ईरान पर इस्राएल के हालिया हमलों में उनका देश शामिल नहीं था. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने तेहरान को परमाणु समझौता ना करने की सूरत में हालात "बदतर होने" की धमकी दी है.ईरान पर इस्राएल के हमले के बाद अमेरिकी सरकार की राजनीतिक दिशा स्पष्ट है: वाशिंगटन इसका हिस्सा नहीं था.

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने वाइट हाउस की ओर से जारी एक बयान में कहा, "इस्राएल ने ईरान के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की है."

उन्होंने कहा, "हम ईरान के खिलाफ हमलों में शामिल नहीं हैं और हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता इस क्षेत्र में अमेरिकी सेनाओं की सुरक्षा है. इस्राएल ने हमें बताया कि वे मानते हैं कि यह कार्रवाई उनकी आत्मरक्षा के लिए जरूरी थी... मैं स्पष्ट कहना चाहता हूं: ईरान को अमेरिकी हितों या कर्मचारियों को निशाना नहीं बनाना चाहिए."

वाइट हाउस की सोशल मीडिया टीम ने यह बयान शुक्रवार, 13 जून की सुबह, ईरान पर इस्राएल के हमलों की शुरुआत के लगभग एक घंटे बाद एक्स पर पोस्ट किया. बाद में, शुक्रवार शाम को, ईरान ने इस्राएल पर जवाबी हमले किए.

इससे पहले, 12 जून को अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने मध्य-पूर्व की जटिल सुरक्षा स्थिति के बारे में एक्स पर एक चेतावनी जारी की थी. इसमें लिखा था, "हम इस्राएल और व्यापक क्षेत्र में मौजूद अमेरिकी नागरिकों का ध्यान लगातार सावधानी बरतने की ओर दिलाते हैं और उन्हें ताजा घटनाक्रमों के लिए खबरों पर नजर रखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं."

अमेरिका को हमले के बारे में पहले से ही जानकारी दी गई थी. लेकिन क्या वे वाकई में किसी भी तरह से सक्रिय रूप से शामिल नहीं थे? जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड सिक्योरिटी अफेयर्स के अमेरिकी क्षेत्रीय शोध समूह में वरिष्ठ कार्यकारी जाशा लोहमान ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "अब तक हमें लॉजिस्टिक्स के बारे में जो कुछ भी पता है, मसलन ईरान में छुपे हुए ड्रोनों के बारे में, उससे संकेत मिलता है कि इस्राएल ने यह हमला अकेले किया है. हालांकि हम इस संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं कर सकते कि अमेरिका ने मदद की हो."

लोहमान के मुताबिक, ईरान के लिए उड़े और वापस आए इस्राएल के 200 सैन्य विमानों की तैनाती यह सवाल उठाती है कि क्या अमेरिकी सेना ने हवा में रीफ्यूलिंग करने में मदद की है?

निशाने पर ईरान का परमाणु कार्यक्रम

शुक्रवार सुबह किए गए इस्राएली हमले मुख्य रूप से ईरान के सैन्य ठिकानों और परमाणु कार्यक्रमों में शामिल जगहों पर केंद्रित थे. जैसे कि नातांज परमाणु केंद्र पर, जहां अन्य चीजों सहित यूरेनियम संवर्धित किया जाता है. ईरानी सेना के कई प्रमुखों अधिकारियों के अलावा, ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर काम करने वाले कम से कम छह वैज्ञानिक और शोधकर्ता मारे गए हैं.

अप्रैल 2025 से, ईरान और अमेरिका पुराने परमाणु करार को बदलने के इरादे से बातचीत कर रहे हैं. राष्टपति डॉनल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान 2018 में अमेरिका पुराने समझौते से बाहर आ गया था.

ईरान के परमाणु ढांचे पर इस्राएली हमले के बाद, दक्षिणपंथी रुझान वाले समाचार चैनल फॉक्स न्यूज के संवाददाता ब्रेट बेयर ने ट्रंप के हवाले से कहा कि "ईरान के पास परमाणु बम नहीं हो सकता." और उन्होंने बताया कि ट्रंप ने कहा है, "हमें बातचीत की मेज पर वापस लौटने की उम्मीद है."

ट्रंप: ईरान पर हमले 'सिर्फ ज्यादा बदतर होंगे!'

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर बहुत कड़ी भाषा का इस्तेमाल किया. उन्होंने एक पोस्ट में लिखा कि उन्होंने ईरान को परमाणु समझौते तक पहुंचने के लिए कई मौके दिए थे. अगर यह नहीं होता है, तो ट्रंप कहते हैं कि उन्होंने ईरानी नेतृत्व को चेतावनी दी थी कि वे एक ऐसे हमले का सामना कर रहे हैं जो उनकी कल्पना से कहीं ज्यादा बुरा है.

ट्रंप ने लिखा, "दुनिया के सर्वश्रेष्ठ और सबसे घातक उपकरण अमेरिका बनाता है." उन्होंने लिखा, "इस्राएल के पास इसका बहुत कुछ है और बहुत कुछ आने वाला है- और वे जानते हैं कि इसका इस्तेमाल कैसे करना है."

ट्रंप ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा कि परमाणु समझौते के खिलाफ जो ईरानी कट्टरपंथी बोले थे, "अब सब मर गए हैं." और "यह सिर्फ बदतर होगा!"

इस बीच, मध्य पूर्व के लिए अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने चेतावनी दी कि ईरान भी इस्राएल में काफी नुकसान पहुंचाने में सक्षम है.

परमाणु समझौते की संभावना कम

एक संभावित नए परमाणु समझौते पर अमेरिकी और ईरानी प्रतिनिधिमंडलों के बीच अगली बैठक 15 जून को ओमान में होनी थी, लेकिन ईरान ने इसे रद्द कर दिया है.

यह भी स्पष्ट नहीं है कि आने वाले वक्त में बातचीत कैसे आगे बढ़ेगी. कहा जा रहा है कि अली शमखानी, जो ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई के करीबी विश्वासपात्र और सलाहकार हैं, वह भी ईरान में मारे गए लोगों में से हैं. जर्मन मैगजीन श्पीगल के अनुसार, शमखानी ने अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. कहा जाता है कि वे एक समझौते पर बातचीत के लिए खुले थे लेकिन उन्होंने यह चेतावनी भी दी थी कि ईरानी सरकार अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईईएई) के साथ आपसी सहयोग खत्म कर सकती है और संयुक्त राष्ट्र के परमाणु निरीक्षकों को निकाल सकती है, अगर ईरान को इनसे खतरा महसूस हुआ.

लोहमान के मुताबिक, "जब तक संघर्ष अपनी मौजूदा तीव्रता के साथ जारी रहता है, यह कल्पना करना मुश्किल है कि बातचीत जारी रहेगी."