
Muharram 2025: इस्लाम धर्म में मुहर्रम (Muharram) का विशेष महत्व है. यह पर्व इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत और बलिदान की याद दिलाता है, उन्होंने सत्य और न्याय के लिए कर्बला की लड़ाई में शहादत दी थी. शिया मुसलमान मुहर्रम माह (Muharram Month) में शोक मनाते हैं, विशेष रूप से आशुरा के दिन, जो 10 मुहर्रम को मनाया जाता है, जब इमाम हुसैन शहीद हुए थे. इस दिन शिया मुसलमान ताजिया जो इमाम हुसैन के मकबरे का प्रतीक है, निकालते हैं, कुछ मुसलमान इस दिन उपवास रखते हैं. सुन्नी मुसलमान मुहर्रम के महीने में अल्लाह की इबादत करते हैं, रोजा रखते हैं. उनका मानना है कि ऐसा करने से अल्लाह की रहमत बरसती है. यह भी पढ़ें: Mehndi Design for Muharram: मुहर्रम पर लगाएं ये लेटेस्ट चांद सितारा और मंडला मेहंदी डिजाईन, देखें पैटर्न
मुहर्रम का इतिहास
इस्लामी इतिहास में मुहर्रम का विशेष महत्व है, यह माह इस्लामी वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है, इसलिए इसे अल्लाह का पवित्र महीना’ कहते हैं, हालाँकि 1400 साल पहले 680 ई. के इसी माह पैगंबर मुहम्मद के पोते इमाम हुसैन ने खलीफा यज़ीद के खिलाफ क्रांति का नेतृत्व किया. दुर्भाग्यवश इमाम हुसैन और उनके अनुयायियों को कर्बला की लड़ाई में बेरहमी से मार दिया गया. इस दिन दुनिया भर के मुसलमान जुलूस, भाषणों एवं अन्य धार्मिक प्रथाओं के जरिये इमाम हुसैन और उनके अनुयायियों की मृत्यु पर शोक मनाते हैं. मुस्लिम समुदाय के लिए यह स्मरण, चिंतन और शोक का महीना है.
मुहर्रम 2025 कब मनाया जाएगा?
मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है, जो 12 चंद्र महीनों पर आधारित होता है. इस वर्ष मुहर्रम 27 जून 2025, शुक्रवार को शुरू होने की उम्मीद है. भारत में चांद दिखने के आधार पर तिथि बदल सकती है. मान्यता है इस पवित्र माह के दौरान, हमारे अच्छे कर्मों का फल कई गुना बढ़ जाता है.
आशूरा का दिन (10वां मुहर्रम)
आशूरा का दिन मुहर्रम के 10वें दिन पड़ता है. यह इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है, जो दुनिया भर के मुसलमानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन है, हालांकि सुन्नी और शिया समुदाय अलग-अलग पहलुओं पर जोर दे सकते हैं. आशूरा उस दिन का प्रतीक है जब अल्लाह ने पैगंबर मूसा और इसराइल के बच्चों को फिरौन से आजाद किया था. वर्षों की यातना और गुलामी के बाद, अल्लाह ने समुद्र को दो भागों में बाँट दिया ताकि वे आज़ादी के लिए भाग सकें.
भारत मुहर्रम सेलिब्रेशन?
मुहर्रम भारत समेत दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण त्यौहार है. यह इस्लामी नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है. मुस्लिम समुदाय इसे पवित्र त्यौहार मानता है. हालांकि मुहर्रम को विभिन्न मुस्लिम समूहों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. भारत में इस दिन मुसलमान उपवास रखते हैं, मस्जिदों में प्रार्थना में भाग लेते हैं, वहीं यहां मुहर्रम को शिया समुदाय द्वारा शोक के दिन के रूप में भी मनाया जाता है. शिया मुसलमान इस दिन ‘ताज़िया’ और ‘अलम’ जुलूस में भाग लेते हैं. इस जुलूस में वे इमाम हुसैन की कब्र की प्रतिकृतियों के साथ-साथ रंग-बिरंगे झंडे लेकर चलते हैं, और उनकी स्मृति में शोक-गीत गाते हैं.
देश के कुछ हिस्सों में लोग अल्लाह के प्रति आभार प्रकट करते हैं और गरीबों तथा जरूरतमंदों को दान देते हैं, भोजन और मिठाइयां बांटते हैं. इस दिन भारत के कुछ हिस्सों में लोग मुहर्रम के दौरान संगीत बजाने या शादियां करने से परहेज़ करते हैं.